शिखा वृद्धतरा यस्य सर्वांगे लुलिता परा ।बडी भारी चोटी जिसके सारे शरीर पर पडी रहा करती थी, वह ब्राह्म्ण पृथ्वी मंडल में चौल (चोटिया) नाम से प्रसिद्ध हुआ ॥११॥
तस्माच्चौल इति ख्यातो भूसुरो भुविमंडले ॥११॥
खाण्डलविप्र जाति का नामकरण एक धटना विशोष के आधार पर हुआ था।वह विशॆष धटना लोहार्गल में सम्पन्न परशुराम के यज्ञ की थी,जिसमें खाण्डलविप्र जाति के प्रवर्तक मधुछन्दादि ऋषियों ने यज्ञ की सुवर्णमयी वेदी के खण्ड दक्षिणा रूप में ग्रहण किये थे।उन खण्डों के ग्रहण के कारण ही,खण्डं लाति गृहातीति खाण्डल:इस व्युत्पति के अनुसार उन ऋषियों का नाम खण्डल अथवा खाण्डल पडा था।ब्राह्मण वंशज वे ऋषि खाण्डलविप्र जाति के प्रवर्तक हुए
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JAI PARSHURAM JI KI
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