Monday 22 January 2024

अयोध्या में श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा संपन हुई |

 अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का विधान पूरा हो गया है। श्रीराम के प्रथम दर्शन हो गए हैं। इससे पहले मंदिर के गर्भगृह में मोदी पहुंचे और उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा पूजा के लिए संकल्प लिया। फिर पूजा शुरू की। पीएम ने ही रामलला की आंख से पट्टी खोली और कमल का फूल लेकर पूजन किया। रामलला पीतांबर से सुशोभित हैं। उन्होंने हाथों में धनुष-बाण धारण किया है।



देश-विदेश से कई अतिथि पहुंचे हैं। इनमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, मुकेश-नीता अंबानी, गौतम अडाणी, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत शामिल हैं। पीएम नरेंद्र मोदी सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर अयोध्या पहुंचे। उधर, लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या नहीं आए। पूजन के दौरान सेना के हेलिकॉप्टर से अयोध्या में पुष्प वर्षा की गई।


sources from : दैनिक भास्कर



Saturday 16 December 2023

भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनते ही ब्राह्मण समाज ने मनाया जश्न :

 राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को बनाया गया। शर्मा के मुख्यमंत्री बनते ही खाण्डल समाज ने जश्न मनाया और आतिशबाजी कर अपनी खुशी जाहिर की। इसके अलावा भी ब्राह्मण चेहरे को सीएम का पद दिए जाने पर परशुराम सेना और ब्राह्मण समाज भी खुशियां मनाने लगा। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए नए सीएम भजनलाल शर्मा और मंत्रीमंडल को बधाई दी है



भाजपा प्रदेश कार्यालय पर पार्टी द्वारा नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों ने भाजपा विधायकों से बातचीत करने के बाद राजस्थान का सीएम चुन लिया है। जयपुर के सांगानेर विधानसभा से विधायक भजनलाल शर्मा के नाम की घोषणा करते ही एक बार तो सब चौंक गए। लेकिन सब ने इस फैसले का स्वागत किया। प्रदेश सहित चित्तौड़गढ़ भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की और जश्न मनाया। भाजपा जिला अध्यक्ष मिट्ठू लाल जाट ने कहा कि प्रदेश में अच्छे बहुमत के साथ हमने जीत हासिल की है। राजस्थान की जनता को कांग्रेस के सुशासन से अब मुक्ति मिली है। भ्रष्टाचार, भू माफिया, गैंगवार, महिला अपराध का गढ़ बन चुके राजस्थान में अब सुशासन स्थापित करने के लिए एक सरल और सौम्य व्यक्तित्व के रूप में पहचान रखने वाले भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान विकास करेगा। सभी कार्यकर्ता एकत्रित होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और वहां पर जमकर आतिशबाजी करते हुए मिठाइयां बांटी।

सिर्फ भाजपा खेमे में ही नहीं बल्कि ब्राह्मण समाज की ओर से भी जश्न मनाया गया। परशुराम सेना और चित्तौड़ ब्राह्मण समाज ने भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनते ही आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटी। सभी का कहना था कि ब्राह्मण चेहरा को इतना बड़ा पद मिलना बहुत खुशी की बात है। भजनलाल शर्मा जरूर राजस्थान को विकास के पद पर ही लेकर जाएंगे। वहीं, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या भी नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिले और उन्हें फूलों का बुके देकर बधाइयां दी।


sources from : दैनिक भास्कर

Sunday 8 October 2023

शादियों के मुहूर्त दिन में निकालने, दूल्हे के दाढ़ी बढ़ाकर आने पर 100% रोक व जुर्माना

 प्रबुद्ध विप्रजन विचार गोष्ठी • समाज उत्थान पर मंथन, ब्राह्मण ऑफिसर्स सहयोग फंड की घोषणा |



मानसरोवर के सुबोध लॉ कॉलेज ऑडिटोरियम में रविवार को विप्रजन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें समाज कल्याण के लिए आर्थिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक, शैक्षिक विचार मंथन और मातृ शक्ति और युवाओं के संवर्धन जैसे विषयों पर मंथन किया गया। एक समाज, एक जाजम और एक विचार' के ध्येय को मूर्त रूप देने के लिए ब्राह्मण समाज के प्रबुद्धजन बड़ी संख्या में जुटे गोष्ठी में कई प्रस्ताव पारित किए गए। यह विप्र समाज का स्वतः स्फूर्त आयोजन साबित हुआ।


कार्यक्रम की महत्वपूर्ण बात यह रही कि इसमें कोई मंच नहीं बनाया गया और न ही कोई भी एक व्यक्ति इसका आयोजक था बल्कि सभी व्यक्ति आयोजक थे। लोकतांत्रिक नेतृत्व रहा, समाज में हर छोटे बड़ा व्यक्ति इसका आयोजक रहा नारी शक्ति से ही मंच की व्यवस्था, आरती, भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन करवाया गया। यह महिला सशक्तीकरण की दिशा में अभूतपूर्व कदम था। गोष्ठी के प्रतिभागियों ने सोने पर अशोक चक्र के साथ अशोक स्तंभ लगाकर देश के आदशों एवं प्रतीक के प्रति सम्मान निष्ठा व्यक्त की। साथ ही परमपिता परमेश्वर से सर्वजन की समृद्धि प्रगति और देश, समाज व राज्य के सर्वागीण विकास के लिए प्रार्थना के रूप में हवा में पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम में चित्रकार दीपाली शर्मा और खिलाड़ी शताब्दी अवस्थी का सम्मान भी किया गया।


ये प्रस्ताव किए पारित


. शादियों के मुहूर्त यथासंभव दिन में निकालना, सनातन संस्कृति को बढ़ावा देते हुए कम खर्च में शादी। सनातन संस्कृति के संगीत पर कार्यक्रम, विवाह में दूल्हे के दाढ़ी बढ़ाकर आने पर शत-प्रतिशत रोक एवं पेनल्टी का प्रावधान किया जाए।


• एक दूसरे की हर संभव मदद, किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, पंथ के बारे में कोई भी उल्टी-सीधी टिप्पणी नहीं करेंगे सबको साथ लेकर चलेंगे।


• अधिकाधिक वोटिंग व समाज के प्रत्याशी को . हरसंभव सहयोग समाज की महिलाओं को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ाना।


एक सब के लिए तथा सब एक के लिए की भावना से व्यापार, व्यवसाय मॉडल पर काम करें।


• ब्राह्मण समाज में आपस में अधिकाधिक विवाह हो। पारिवारिक विघटन रोकने के लिए काउंसलिंग एवं हेल्पलाइन । ब्राह्मण हितार्थं कोपर्स फंड बनाना और लीगल हेल्पलाइन का गठन हो।


इन्होंने किया समाजहित में मंथन


गोष्ठी में पलक शुक्ला, डॉ. अल्का गीड व डॉ. हेमलता शर्मा, विवेक दशोरा, मोनू जगरिया, संयुक्त कर्मचारी महासंघ के महावीर शर्मा, पीएन शर्मा, वरिष्ठ आरएएस पंकज ओझा, पूर्व आईपीएस हरिप्रसाद शर्मा, पूर्व आईएएस मनोज शर्मा व लक्ष्मण गौड, पूर्व कलेक्टर जीपी शुक्ला, वरिष्ठ आरएएस जीएल शर्मा, पंकज पंडित, जयकिशन चुलेट, आरएएस विकास राजपुरोहित और अशोक शर्मा, ग्रेटर नगर निगम चेयरमैन अरुण शर्मा सहित अन्य प्रबुद्धजनों ने खुले सत्र में सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही सामाजिक कुरीतियाँ मिटा कर सभी समाजों को साथ लेकर एक आगे बढ़े और और यूथ, समाज, मातृशक्ति, आदि को आगे बढ़ाने के प्रस्ताव पारित किए।


sources from Bhaskar

Thursday 16 March 2023

19 मार्च को ब्राह्मण समाज करेगा शक्ति प्रदर्शन, जयपुर में होगी ब्राह्मण महापंचायत

  चुनावी साल में अलग अलग समाज अपनी एकता का प्रदर्शन करते हुए राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग करने में जुट गए हैं। हाल ही में जयपुर में जाट महाकुंभ का आयोजन हुआ था। अब 19 मार्च को जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में ब्राह्मण महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। ब्राह्मण समाज की मांग है कि राजनीतिक पार्टियों में स्वर्ण जातियों को कोई विशेष आरक्षण नहीं दिया जा रहा जबकि अन्य समाजों के लिए आरक्षण कोटा तय कर रखा है। ब्राह्मण समाज अब अपनी ताकत दिखाएगा और राजनीतिक पार्टियों से उचित प्रतिनिधित्व की मांग करेगा। इस महापंचायत में अधिक से अधिक भीड़ जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए 2000 किलो पीले चावल बांटकर न्योता दिया जा रहा है।


ब्रह्म शक्ति संघ के राष्ट्रीय संयोजक सुनील मुद्गल का कहना है कि राजनीतिक दलों में स्वर्ण जातियों की लगातार उपेक्षा होती रही है। ओबीसी, एसी और एसटी के लिए अलग अलग प्रकोष्ठ बने हुए जबकि स्वर्ण जातियों के लिए कोई प्रकोष्ठ आज तक नहीं बना है। प्रदेश में 85 लाख से ज्यादा आबादी है। प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर स्वर्ण वर्ग का प्रभाव है। इसके बावजूद भी उन्हें राजनैतिक हाशिये पर खड़ा कर दिया गया है। चुनावों के समय टिकट वितरण की बात हो या राजनैतिक नियुक्तियों का मामला हो, स्वर्ण वर्ग हमेश वंचित रह जाता है। ऐसे ब्रह्म शक्ति संघ यह मांग करता है कि स्वर्ण जातियों के लिए भी राजनैतिक पार्टियां स्थान सुनिश्चित करें।

युवाओं के लिए होगा मोटिवेशनल सेमीनार

ब्रह्म शक्ति संघ की ओर से स्वर्ण समाज के युवाओं के लिए मोटिवेशनल सेमीनार का आयोजन किया जाएगा। गांव-गांव ढाणी-ढाणी जाकर एमएसएमई के तहत रोजगार मेले लगाए जाएंगे ताकि स्वर्ण समाज के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके। नेशनल लेवल की कंपनियों की ओर से रोजगार मेले लगवाए जाएंगे ताकि समाज के युवा व्यापार की बारीकियां सीख सके और वे आत्मनिर्भर बन सके। आर्थिक रूप से मजबूत होकर ही युवा समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे। युवा प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार को ब्राह्मण आरक्षण आन्दोलन के प्रणेता विप्र शिरोमणी पंडित भंवरलाल शर्मा के नाम पर सरदार शहर एवं स्वर्गीय पंडित श्याम सुन्दर वशिष्ठ के नाम पर जयपुर में मार्गों का नामकरण किया जाए।

sources from: navbharattimes

Saturday 9 May 2020

खण्डेलवाल ब्राह्मण की कुलदेवी

जैसा कि आपको विदित है हमारे खाण्डल समाज के उद्गम स्थल लोहार्गल में आप सभी समाज बन्धुओं के सहयोग से एक विशाल भव्य भवन का निर्माण कराया जा रहा है , जिसमें हमारे समाज के पूर्वज ऋषियों की प्रतिमाएँ एवं कुल देवियों के मंदिर स्थापित किये जायेंगे । हमें समाज बन्धुओं से हमारे समाज की निम्नलिखित कुल देवियों होने की जानकारी मिली है । इनके अतिरिक्त अन्य कोई हो तो कृपया प्रमाण सहित जानकारी से अवगत करावे ताकि तदानुसार आवश्यक संशोधन किया जा सके । कुल देवियों एवं गौत्रों के नाम निम्न प्रकार है !




1 . झाड़ली माता ( नाथकी माता )                    पीपलवा , गोधला . मछवाल
2 . शाकम्भरी माता                                        भूरटिया , भाटीवाड़ा , मंगलहारा , सोती लढाणिया , झुन्झुनोदिया
3 . अन्नपूर्णा माता                                          बील , निढाणिया , कुंजावड़ा , मण्डगिरा
4. सुभद्रा माता                                              सिंहोटा , गुंजावड़ा , तिवाड़ी , सोमला
5 . महरमाता                                                चामुण्डा माता नवहाल , डीडवाणिया , गोरसिया , जोशी , परवाल
6 . समराय माता                                           सुन्दरिया
7. भुआल माता ( मनसा माता )                      काछवाल
8. जमवाय माता ( अम्बा माता )                     रिणवा , गोवला . बोचीवाल
9.  जीण माता                                              बढाढरा , चोटिया , पाराशर
10 . चन्द्रिका माता ( विशाला माता )              बणसिया , बाटोलिया
11 . नौयणी माता / पहाड़ी माता                    भुरभुरा , रूथला
12 . महागौरी माता                                      बंसीवाल , हुचरिया
13 . बंधुमाता                                              झकनाडिया , अजमेरिया
14 . शेमप्रभा माता / विघ्नेश्वरी माता               सेवदा , सांभरा , सोडवा , बीलवाल . दुगोलिया
15 . साडला माता / दुर्गा माता                      माटोलिया , शाकुनिया

खण्डेलवाल ब्राह्मण

जगद् का गौरवशाली स्थान प्राप्त करनेवाली भारतीय ब्राह्मण जातियों में
खाण्डलविप्र खण्डेलवाल ब्राह्मण जाति का भी प्रमुख स्थान है । जिस प्रकार
अन्य ब्राह्मण जातियों का महत्व विशॆष रूप से इतिहास प्रसिद्ध है, उसी
प्रकार खाण्डलविप्र खण्डेलवाल ब्राह्मण जाति का महत्व भी इतिहास प्रसिद्ध
है । इस जाति में भी अनेक ऋषि मुनि, विद्वान् संत, महन्त, धार्मिक, धनवान,
कलाकार, राजनीतिज्ञ और समृद्धिशाली महापुरूषों ने जन्म लिया है ।
खाण्डलविप्र जाति में उत्पन्न अनेक महापुरूषों ने समय समय पर देश, जाति,
धर्म, समाज और राष्ट के राजनैतिक क्षेत्रो को अपने प्रभाव से प्रभावित किया
है । जिस प्रकार अन्य ब्राह्मण जातियों का अतीत गौरवशाली है, उसी प्रकार
इस जाति का अतीत भी गौरवशाली होने के साथ साथ परम प्रेरणाप्रद है ।
जिन जातियों का अतीत प्रेरणाप्रद गौरवशाली और वर्तमान कर्मनिष्ठ होते है वे
ही जातियां अपने भविष्य को समुज्ज्वल बना सकती है । खाण्डलविप्र जाति में
उपर्युक्त दोनो ही बाते विद्यमान हैं । उसका अतीत गौरवशाली है । वर्तमान को
देखते हुए भविष्य भी नितान्त समुज्ज्वल है । ऐसी अवस्था में उसके इतिहास
और विशॆषकर प्रारंभिक इतिहास पर कुछ प्रकाश डालना अनुचित न होगा ।
खाण्डलविप्र जाति की उत्पत्ति विषयक गाथाओं में ऐतिहासिक तथ्य सम्पुर्ण रूप
से विद्यमान है । इस जाति के उत्पत्तिक्रम में जनश्रुति और किंवदन्तियों
की भरमार नहीं है । उत्पत्ति के बाद ऐतिहासिक पहलूओं के विषय में जहाँ
जनश्रुति और किंवदन्तियों को आधार माना गया है, वह दूसरी बात है । उत्पत्ति
का उल्लेख कल्पना के आधार पर नहीं हो सकता । याज्ञवल्क्य की कथा को प्रमुख
मानकर खाण्डलविप्र जाति का उत्पत्तिक्रम उस पर आधारित नहीं किया जा सकता ।
महर्षि याज्ञवल्क्य का जन्म खाण्डलविप्र जाति में हुआ था । याज्ञवल्क्य का
उींव खाण्डलविप्र जाति के निर्माण के बाद हुआ था । याज्ञवल्क्य
खाण्डलविप्र जाति के प्रवर्तक मधुछन्दादि ऋषियों में प्रमुख देवरात ऋषि के
पुत्र थे ।

खाण्डलविप्र जाति का नामकरण एक धटना विशोष के आधार पर हुआ था । वह विशॆष
धटना लोहार्गल में सम्पन्न परशुराम के यज्ञ की थी, जिसमें खाण्डलविप्र जाति
के प्रवर्तक मधुछन्दादि ऋषियों ने यज्ञ की सुवर्णमयी वेदी के खण्ड दक्षिणा
रूप में ग्रहण किये थे । उन खण्डों के ग्रहण के कारण ही, खण्डं लाति
गृहातीति खाण्डल: इस व्युत्पति के अनुसार उन ऋषियों का नाम खण्डल अथवा
खाण्डल पडा था । ब्राह्मण वंशज वे ऋषि खाण्डलविप्र जाति के प्रवर्तक हुए ।

Thursday 23 January 2020

भगवान परशुराम

परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) के एक ब्राह्मण थे। उन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है[1]। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत मैं हुआ था। (म.प्र) के इंदौर जिला मै हुआ था। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया।


वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा। इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है-"ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।" वे पुरुषों के लिये आजीवन एक पत्नीव्रत के पक्षधर थे। उन्होंने अत्रि की पत्नी अनसूया, अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा व अपने प्रिय शिष्य अकृतवण के सहयोग से विराट नारी-जागृति-अभियान का संचालन भी किया था। अवशेष कार्यो में कल्कि अवतार होने पर उनका गुरुपद ग्रहण कर उन्हें शस्त्रविद्या प्रदान करना भी बताया गया है।

sources from wikipedia